WORLD FOOD SAFETY DAY

World food safety day

मनुष्य को धरती पर जीवित रहने के लिए हवा ,पानी और शुद्ध आहार की जरूरत पड़ती है
मनुष्य जीवन से मृत्यु तक विभिन्न आहारो का ग्रहण करता है उसमे से कुछ उनके पसंदीदा आहार भी बन जाते है ।
  आज मै आपके लिए .WORLD FOOD SAFETY DAY. पे कुछ रोचक जाकारियां देना चाहता हूं वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे 7 जून को मनाया  जाता है। इसकी शुरुआत  संयुक्त राष्ट्र सभा ने दिसंबर 2018 में किया था तभी से यह प्रचलन में है।
  आप सोच रहे होंगे यह क्यो मनाया जाता है इसकी क्या जरूरत है लोग अपनी इच्छा अनुसार भोजन ग्रहण करते है । मनुष्य अपने अनुसार भोजन ग्रहण कर लेता है परन्तु इस समाज में कुछ ऐसे लोग भी है जिन्हें यह पता नहीं होता है है की जो उन्होने भोजन खाया है पौष्टिक और सुरक्षित है कि नहीं? कुछ रिपोर्ट ऐसे आए है जिसने बताया गया है कि इंसान की मृत्यु खराब भोजन करने से हुए है। जिस अनाज को ग्रहण कर मनुष्य अपना जीवन व्यतीत करता है वहीं कभी उसके मौत का कारण बन जाता है
समाज में सुरक्षित आहार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ७ जून को वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे मनाया जाता है।
अगर हम वर्तमान समय में देखे तोह आहर के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है
  और लोग आसानी से चटपटे आहार के लिए बेवकूफ बन जाते है ।
अगर हम चटपटे आहार की बात करे तो  सबसे पसंदीदा आहार पानीपुरी आता है साथ ही सेव पूरी मसाला पूरी ना जाने कितनी तरह की पूरी पर इंसान के मन की इच्छा कभी पूरी नहीं होती।
अगर इंसान ध्यान से सोचे जितना ज़्यादा विज्ञान आगे बढ़ रहा है उतनी है ज़्यादा बीमारियां और उतने ही नए खाने के आहार समझ नहीं आता ऐसा क्यों ????
  अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट के देखे तोह इंसान पहले सिर्फ पौष्टिक आहार लेकर ही बलवान बन जाता था ।उन्हें किसी प्रकार की बीमारियां का सामना बहुत कम करना पड़ता था
मेरा मानना है कि इंसान का स्वस्थ्य सीधा उसके आहार से जुड़ा है अगर मनुष्य हर रोज पौष्टिक आहर ग्रहण करे तोह मानव में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे इंसान को कोई भी बीमारी नहीं छू सकती ।
हम सभी जानते है कि कैसे कोरॉना पूरे विश्व पर कहर वर्षा रहा है ।
अगर स्टडी के अनुसार पता चला है कि कॉरॉना उन्हीं के पहले चपेट में ले रहा है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है ।
इंसान में बढ़ते उम्र के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाता है इसलिए कोरोना महामारी से मरने वाले ज़्यादातर बुजुर्ग है।
बदलते समाज और विकास ने हमारे खानपान का पूरा तरीका बदल दिया। खानपान बदलने से लिए हमारे शरीर को पोषक तत्व चाहिए वह नहीं मिल पता है और हमारा शरीर बीमारियों के आगे कमजोर पड़ जाता है ।
खानपान में किस तरह बदलाव हुए आइए उनके बारे में कुछ जानकारी लेते है ।
पहले  लोग घर पर बने दही के लस्सी पीते थे जिसका प्रचलन पंजाब में अभी भी है पर धीरे- धीरे यह लुप्त होते जा रहा है।
आधुनिक मानव घर पर बने पौष्टिक आहार को छोड़कर होटल में चाइनीज ,नूडल और ना जाने क्या क्या खाते है। इन सब खाद्य पदार्थो में उतना प्रोटीन नहीं मिलता जितना कि घर पे बने भोजन से मिलता है।
मेरा मानना है कि मनुष्य को घर पर बने शुद्ध आहर ही ग्रहण करना चाहिए ना ।
मै मानता हूं कि बदलते समय के साथ इंसान को बदलना चाहिए पर इतना भी नही की वह बदलाव उसकी ज़िन्दगी को बदल दे ।
मै आप सबको यही सलाह दूंगा कि आप पौष्टिक आहार ग्रहण करे स्वस्थ्य रहे हस्ते रहे मुस्कुराते रहे और अपने जीवन में आगे बढ़ते रहे । कुछ पंक्तियां आप सब के लिए ।
  मां के हाथ की रोटियां कहीं मिलती नहीं है
     महंगे होटलों में भी भूख मिटती नहीं है
      जब तक  मां के आंचल में हो तब तक उनका साथ निभाओ ना
    क्यो जाते हो बाहर खाने घर पर खाना खाओ ना।

   
  
 

      


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